नशा हे ख़राब : झन पीहू शराब


"न्यूज ब्लॉग में आपका स्वागत है" ..... जल है तो कल है "....." नशा हे ख़राब : झन पीहू शराब " ..... - अशोक बजाज
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मंगलवार, 1 अक्तूबर 2024

सेवा पखवाड़ा में सार्थक हो रहा प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान


सेवा पखवाड़ा पर विशेष आलेख

भारत में 1 लाख 71 हजार से अधिक निक्षय मित्र 20 लाख से अधिक टीबी रोगियों के मददगार बने

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक चल रहे सेवा पखवाड़ा के तहत स्वच्छता, सफाई, रक्तदान एवं निशुल्क स्वास्थ्य शिविरों के माध्यम से देश भर में सेवा कार्य में लोग तल्लीन है. सेवा पखवाड़ा में नगर, गांव, गली, मोहल्लों, मजरों, चौपालों समेत सार्वजनिक व धार्मिक स्थानों पर सेवा कार्य के साथ साथ "प्रधानमंत्री टी. बी. मुक्त भारत अभियान" के अंतर्गत निक्षय मित्र योजना को भी अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है. इन दिनों काफी संख्या में लोग निक्षय मित्र बनकर टी.बी. मरीजों की भौतिक रूप से मदद कर रहें हैं. हम यह जानते हैं कि दुनिया में सबसे ज़्यादा टीबी यानी तपेदिक के मरीज़ भारत में हैं. दुनिया भर में प्रति वर्ष एक करोड़ से ज्यादा लोग टीबी की चपेट में आते है इनमें से एक चौथाई से ज्यादा भारतीय है. अमूमन हर साल भारत में 26 लाख लोग इस बीमारी से पीड़ित होते हैं तथा लगभग 4 लाख लोग इस बीमारी से मरते हैं. टीबी के मरीजों के समक्ष उपचार के दौरान होने वाले खर्च के अलावा पौष्टिक आहार की भी आवश्यकता होती है. सबसे ज्यादा समस्या आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्तिओं को होती है क्योंकि काम करने में सक्षम ना होने के कारण उन्हें दो जून की रोटी भी नसीब नहीं होती. ऐसे में उनके समक्ष उपचार और जीवन यापन एक चुनौती बन जाती है.

टी.बी. को लेकर विश्व के तमाम देश चिंतित है, इसीलिये सन 2030 तक विश्व को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है. इससे एक कदम आगे बढ़कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैश्विक लक्ष्य से
5 साल पहले यानी 2025 तक भारत को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है. इस कठिन लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सरकार के साथ साथ समाज की भागीदारी आवश्यक है. प्रधानमंत्री ने जन जन को इस अभियान से जोड़ने के लिए सन 2022 में "निक्षय मित्र योजना" की शुरुवात की है. ‘निक्षय मित्र योजना' के तहत कोई भी व्यक्ति, समूह या संस्थायें मरीजों को पोषण, उपचार व आजीविका में मददगार बनकर प्रधानमंत्री टी.बी. मुक्त भारत अभियान में अपना योगदान दे सकते हैं. यह पूर्णतः स्वेच्छिक योजना है, जिसके तहत व्यक्ति या संस्था द्वारा एक मरीज के लिए प्रतिमाह 500 रुपये का योगदान देना होता है. इस राशि से विभाग द्वारा मरीजों के उपचार के दौरान अस्पताल अथवा घर पहुंचा कर पोषण आहार की टोकरियाँ प्रदान की जाती है. कोई भी व्यक्ति अथवा संस्था कम से कम 6 माह तथा अधिकतम 3 साल के लिए एक अथवा एक से अधिक मरीजों को सहयोग प्रदान कर सकते हैं. इसके लिए उन्हें स्वास्थ विभाग से पंजीयन कराना होता है, ऑनलाइन पंजीयन की भी व्यवस्था है.

योजना प्रारंभ होने के बाद विगत दो वर्षों के भीतर भारत में अब तक 1 लाख 71 हजार से अधिक निक्षय मित्रों का पंजीयन हो चुका है. इनके योगदान से 20 लाख से अधिक टीबी रोगियों को 20 लाख से अधिक पोषण आहार की टोकरियाँ प्रदान की जा रही है. जहाँ तक छत्तीसगढ़ का सवाल है यहाँ लगभग 9000 लोगों ने निक्षय मित्र के रूप में पंजीयन करा लिया है इनमें मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय एवं छग के स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल भी शामिल हैं. छत्तीसगढ़ में एक अनुमान के अनुसार वर्तमान में लगभग 23000 टीबी रोगी हैं उनमें से 13646 रोगियों को पोषण आहार का पैकेट प्रति माह प्रदान किया जा रहा है. इसके अलावा राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन योजना के तहत सभी रोगियों को टीबी रोधी दवाओं के अलावा नि:शुल्क उपचार की सुविधा भी प्रदान की जा रही है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश तथा स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री जयप्रकाश नड्डा के मार्गदर्शन में यह योजना अब व्यापक जन आंदोलन का रूप ले चुकी है. 'निक्षय मित्र योजना' का प्रतिफल यह हुआ कि जन स्वास्थ्य एवं जन सरोकार से जुड़े इस अभियान में लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहें हैं. आर्थिक रूप से सक्षम व्यक्ति, कारोबारी, स्वयंसेवी संस्थाएं एवं अर्द्ध सरकारी संस्थाएं 'निक्षय मित्र' बनने के लिए आगे आ रहें है. टी.बी. उन्मूलन की दिशा में जन भागीदारी बढ़ने से इस योजना को अच्छा प्रतिसाद मिल रहा हैं. इस योजना से केवल रोगियों की पोषण संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति ही नहीं होती बल्कि निक्षय मित्र और इलाज करा रहे व्यक्ति के बीच एक आत्मीय संबंध भी स्थापित होता है. समाज में परस्पर सहयोग और सहानुभूति की भावना को विकसित कर टीबी के कलंक को जड़ से ख़त्म करने में यह योजना महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं. कुल मिलाकर सेवा पखवाड़ा में "प्रधानमंत्री टी. बी. मुक्त भारत अभियान" सार्थक सिद्ध हो रहा है.

- अशोक बजाज


टीबी हारेगा - देश जीतेगा

बुधवार, 24 मई 2023

'सेंगोल' सम्मुख होगा राष्ट्रबोध

  अमृतकाल में इतिहास, सांस्कृतिक विरासत, परंपरा और सभ्यता को 

आधुनिकता से जोड़ने का सुंदर प्रयास

SENGOL
सेंगोल एक राजदंड है जो भारत का ऐतिहासिक धरोहर है. यह आजादी के जुड़ा एक प्रतीक है. इस सेंगोल को 75 साल पूर्व 14 अगस्त 1947 को पं. जवाहरलाल नेहरू ने तमिलनाडु की जनता से  स्वीकार किया था। यह अंग्रेजों से भारतीयों को सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक था. पीएम नरेंद्र मोदी 28 मई 2023 को नए संसद भवन के उद्घाटन के अवसर पर तमिलनाडु की जनता से इस सेंगोल को प्राप्त करेंगे जिसे नए संसद भवन में आसंदी के पास स्थापित किया जायेगा. आजादी के अमृतकाल में हमारे इतिहास, सांस्कृतिक विरासत, परंपरा और सभ्यता को आधुनिकता से जोड़ने का सुंदर प्रयास है। इस अवसर पर एक ऐतिहासिक परंपरा पुनर्जीवित हो रही है. सेंगोल तमिल भाषा के शब्द ‘सेम्मई’ से निकला हुआ शब्द है। इसका अर्थ होता है धर्म, सच्चाई और निष्ठा। किसी ज़माने में सेंगोल राजदंड भारतीय सम्राट की शक्ति और अधिकार का प्रतीक हुआ करता था. इसे इलाहाबाद के एक संग्रहालय में रखा गया था अब यह नए संसद भवन में शोभायमान होगा. संसद देश की सबसे बड़ी पंचायत है. जहाँ इस विशाल भारत की जनता की समृद्धि व खुशहाली तथा राष्ट्रहित के मुद्दों पर नीतिगत फैसले लिए जाते है. देश भर के चुने हुए प्रतिनिधि इस राजदंड सेंगोल के सम्मुख होकर जब कोई चर्चा करेंगे तब यह राजदंड उन्हें राष्ट्रबोध का आभाष कराएगा, यानी 'सेंगोल' सम्मुख होगा राष्ट्रबोध.

मंगलवार, 16 मई 2023

कोरोना के बाद अब टीबी के खिलाफ निर्णायक जंग

टीबी मुक्त भारत अभियान में 'निक्षय मित्र योजना' की प्रभावी भूमिका   



टीबी एक गंभीर जानलेवा बीमारी है. यह अन्य संक्रामक बिमारियों से ज्यादा घातक भी है. बैक्टीरिया से होने वाली यह बीमारी हवा के जरिए एक इंसान से दूसरे इंसान के शरीर में फैलती है। यह आमतौर पर फेफड़ों से शुरू होती है। परन्तु यह ब्रेन, यूटरस, मुंह, लिवर, किडनी, गला, हड्डी आदि शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है। खांसने और छींकने के दौरान मुंह-नाक से निकलने वाली सूक्ष्म बूंदों से यह इन्फेक्शन फैलता है। सन 1882 में वैज्ञानिक रॉबर्ट कॉक ने टीबी रोग के कारक जीवाणु माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस की खोज करके टीबी रोग उन्मूलन की राह आसान की. आज पूरी दुनिया इस बीमारी से चिंतित है. जानकारों के अनुसार दुनिया में प्रतिदिन  5,200 लोगों की मौत टीबी से होती है जबकि अकेले भारत में हर दिन लगभग 1,400 लोग टीबी से मरते हैं। दुनिया के कुल टीबी मरीजों में 25 प्रतिशत मरीज अकेले भारत में हैं. इसीलिए भारत में टीबी उन्मूलन हेतु युद्ध स्तर पर प्रयास जारी है. सन 2030 तक विश्व को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैश्विक लक्ष्य से 5 साल पहले यानी 2025 तक भारत को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है. स्वास्थ व परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार का पूरा अमला इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए जी-जान से जुटा हैं। देशभर में टी.बी मरीजों की पहचान करके उनके उपचार की उचित व्यवस्था करना तथा उनका समुचित देखभाल करने का कार्य तीव्र गति से हो रहा है। उपचार अवधि में रोगियों को पोषण युक्त आहार नितांत आवश्यक है. शासन द्वारा डीबीटी के तहत मरीजों के खाते में प्रतिमाह 500 रु हस्तांतरित किये जा रहे हैं। इसके अलावा RNTCP के तहत सभी रोगियों को टीबी रोधी दवाओं सहित नि:शुल्क निदान और उपचार की सुविधा भी प्रदान की गई है। 

शासन ने इस अभियान को जन आंदोलन बनाने की नीयत से एक अभिनव योजना प्रारंभ की है, इस योजना को ‘निक्षय मित्र’ योजना नाम दिया गया है. इस योजना के तहत जनभागीदारी सुनिश्चित की गई है यानी टीबी के खिलाफ चल रहे जंग में जनता जनार्दन को भी शामिल कर लिया गया है. ‘निक्षय मित्र योजना' के तहत कोई भी व्यक्ति, समूह या संस्थायें मरीजों को पोषण, उपचार व आजीविका में मददगार बनकर प्रधानमंत्री टी.बी. मुक्त भारत अभियान में अपना योगदान दे सकते हैं। इन्हें निक्षय मित्र नाम दिया गया है. निक्षय मित्र को कम से कम एक साल और अधिकतम तीन वर्षों तक रोगियों को गोद लेना होता हैं। परन्तु इसमें टी.बी रोगियो की सहमति आवश्यक हैं। 'निक्षय मित्र योजना' का प्रतिफल यह हुआ कि जन स्वास्थ्य एवं जन सरोकार से जुड़े इस अभियान में लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहें हैं। 'निक्षय मित्र' बनने के लिए आर्थिक रूप से सक्षम व्यक्ति, कारोबारी, स्वयंसेवी संस्थाएं एवं अर्द्ध सरकारी संस्थाएं आगे आ रही है. टी.बी. उन्मूलन की दिशा में जन भागीदारी बढ़ गई है तथा इस योजना को अच्छा प्रतिसाद मिल रहा हैं। इस अभियान से जुड़ने के लिए आप निक्षय पोर्टल www.nikshay.in पर रजिस्टर कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए निक्षय हेल्पलाईन नंबर 1800-11-6666 पर भी सम्पर्क किया जा सकता हैं। 

कोरोना महामारी के दौर में भारत ने जो महती भूमिका निभाई थी, अब टीबी उन्मूलन की दिशा में भी वही भूमिका दृष्टिगोचर हो रही हैं। देश के वैज्ञानिक भी इसके उन्मूलन के लिए नित नई नई दवाइयां व टीके की खोज कर रहे हैं। इस बिमारी को जड़ से खत्म करना हमारा सबका सामाजिक एवं राष्ट्रीय दायित्व है. निक्षय मित्र योजना सामाजिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई हैं। आइये हम सब निक्षय मित्र योजना में शामिल होकर 2025 तक टीबी मुक्त भारत के संकल्प को पूरा करें।
- अशोक बजाज

मंगलवार, 2 मई 2023

"मन की बात" की ऐतिहासिक 100 वीं कड़ी में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का सम्बोधन

 

 ‘मन की बात’ ये एक कार्यक्रम नहीं है, मेरे लिए एक आस्था, पूजा, व्रत है- श्री नरेंद्र मोदी



मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार। आज ‘मन की बात’ का सौवां एपिसोड है। मुझे आप सबकी हजारों चिट्ठियाँ मिली हैं, लाखों सन्देश मिले हैं और मैंने कोशिश की है कि ज्यादा से ज्यादा चिट्ठियों को पढ़ पाऊँ, देख पाऊँ, संदेशों को जरा समझने की कोशिश करूँ। आपके पत्र पढ़ते हुए कई बार मैं भावुक हुआ, भावनाओं से भर गया, भावनाओं में बह गया और खुद को फिर सम्भाल भी लिया। आपने मुझे ‘मन की बात’ के सौवें एपिसोड पर बधाई दी है लेकिन मैं सच्चे दिल से कहता हूँ, दरअसल बधाई के पात्र तो आप सभी ‘मन की बात’ के श्रोता हैं, हमारे देशवासी हैं। ‘मन की बात’, कोटि-कोटि भारतीयों के ‘मन की बात’ है, उनकी भावनाओं का प्रकटीकरण है।

साथियो, 3 अक्टूबर, 2014, विजय दशमी का वो पर्व था और हम सबने मिलकर विजय दशमी के दिन ‘मन की बात’ की यात्रा शुरू की थी। विजय दशमी यानी बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व। ‘मन की बात’ भी देशवासियों की अच्छाइयों का, सकारात्मकता का, एक अनोखा पर्व बन गया है। एक ऐसा पर्व जो हर महीने आता है, जिसका इंतजार हम सभी को होता है। हम इसमें positivity को celebrate करते हैं। हम इसमें people’s participation को भी celebrate करते हैं। कई बार यकीन नहीं होता कि ‘मन की बात’ को इतने महीने और इतने साल गुजर गए। हर एपिसोड अपने आप में खास रहा। हर बार, नए उदाहरणों की नवीनता, हर बार देशवासियों की नई सफलताओं का विस्तार। ‘मन की बात’ में पूरे देश के कोने-कोने से लोग जुड़े, हर आयु-वर्ग के लोग जुड़े। बेटी-बचाओ बेटी-पढ़ाओ की बात हो, स्वच्छ भारत आन्दोलन हो, खादी के प्रति प्रेम हो या प्रकृति की बात, आजादी का अमृत महोत्सव हो या फिर अमृत सरोवर की बात, ‘मन की बात’ जिस विषय से जुड़ा, वो, जन-आंदोलन बन गया, और आप लोगों ने बना दिया। जब मैंने, तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ साझा ‘मन की बात’ की थी, तो इसकी चर्चा पूरे विश्व में हुई थी।

साथियो, ‘मन की बात’ मेरे लिए तो दूसरों के गुणों की पूजा करने की तरह ही रहा है। मेरे एक मार्गदर्शक थे – श्री लक्ष्मणराव जी ईनामदार। हम उनको वकील साहब कहा करते थे। वो हमेशा कहते थे कि हमें दूसरों के गुणों की पूजा करनी चाहिए। सामने कोई भी हो, आपके साथ का हो, आपका विरोधी हो, हमें उसके अच्छे गुणों को जानने का, उनसे सीखने का, प्रयास करना चाहिए। उनकी इस बात ने मुझे हमेशा प्रेरणा दी है। ‘मन की बात’ दूसरों के गुणों से सीखने का बहुत बड़ा माध्यम बन गयी है।

मेरे प्यारे देशवासियो, इस कार्यक्रम ने मुझे कभी भी आपसे दूर नहीं होने दिया। मुझे याद है, जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था, तो वहां सामान्य जन से मिलना-जुलना स्वाभाविक रूप से हो ही जाता था। मुख्यमंत्री का कामकाज और कार्यकाल ऐसा ही होता है, मिलने जुलने के अवसर बहुत मिलते ही रहते हैं। लेकिन 2014 में दिल्ली आने के बाद मैंने पाया कि यहाँ का जीवन तो बहुत ही अलग है। काम का स्वरूप अलग, दायित्व अलग, स्थितियाँ-परिस्तिथियों के बंधन, सुरक्षा का तामझाम, समय की सीमा। शुरुआती दिनों में, कुछ अलग महसूस करता था, खाली-खाली सा महसूस करता था। पचासों साल पहले मैंने अपना घर इसलिए नहीं छोड़ा था कि एक दिन अपने ही देश के लोगों से संपर्क ही मुश्किल हो जायेगा। जो देशवासी मेरा सब कुछ है, मैं उनसे ही कट करके जी नहीं सकता था। ‘मन की बात’ ने मुझे इस चुनौती का समाधान दिया, सामान्य मानवी से जुड़ने का रास्ता दिया। पदभार और प्रोटोकॉल, व्यवस्था तक ही सीमित रहा और जनभाव, कोटि-कोटि जनों के साथ, मेरे भाव, विश्व का अटूट अंग बन गया। हर महीने में देश के लोगों के हजारों संदेशों को पढता हूँ, हर महीने में देशवासियों के एक से एक अद्भुत स्वरूप के दर्शन करता हूँ। मैं देशवासियों के तप-त्याग की पराकाष्ठा को देखता हूँ, महसूस करता हूँ। मुझे लगता ही नहीं है, कि मैं, आपसे थोडा भी दूर हूँ। मेरे लिए ‘मन की बात’ ये एक कार्यक्रम नहीं है, मेरे लिए एक आस्था, पूजा, व्रत है। जैसे लोग, ईश्वर की पूजा करने जाते हैं, तो, प्रसाद की थाल लाते हैं। मेरे लिए ‘मन की बात’ ईश्वर रूपी जनता जनार्दन के चरणों में प्रसाद की थाल की तरह है। ‘मन की बात’ मेरे मन की आध्यात्मिक यात्रा बन गया है।

‘मन की बात’ स्व से समिष्टि की यात्रा है।
‘मन की बात’ अहम् से वयम् की यात्रा है।
यह तो मैं नहीं तू ही इसकी संस्कार साधना है।

आप कल्पना करिए, मेरा कोई देशवासी 40-40 साल से निर्जन पहाड़ी और बंजर जमीन पर पेड़ लगा रहा है, कितने ही लोग 30-30 साल से जल-संरक्षण के लिए बावड़ियां और तालाब बना रहे हैं, उसकी साफ़-सफाई कर रहे हैं। कोई 25-30 साल से निर्धन बच्चों को पढ़ा रहा है, कोई गरीबों की इलाज में मदद कर रहा है। कितनी ही बार ‘मन की बात’ में इनका जिक्र करते हुए मैं भावुक हो गया हूँ। आकाशवाणी के साथियों को कितनी ही बार इसे फिर से रिकॉर्ड करना पड़ा है। आज, पिछला कितना ही कुछ, आँखों के सामने आए जा रहा है। देशवासियों के इन प्रयासों ने मुझे लगातार खुद को खपाने की प्रेरणा दी है।

साथियो, ‘मन की बात’ में जिन लोगों का हम ज़िक्र करते हैं वे सब हमारे Heroes हैं जिन्होंने इस कार्यक्रम को जीवंत बनाया है। आज जब हम 100वें एपिसोड के पड़ाव पर पहुंचे हैं, तो मेरी ये भी इच्छा है कि हम एक बार फिर इन सारे Heroes के पास जाकर उनकी यात्रा के बारे में जानें। आज हम कुछ साथियों से बात भी करने की कोशिश करेंगे। मेरे साथ जुड़ रहे हैं हरियाणा के भाई सुनील जगलान जी। सुनील जगलान जी का मेरे मन पर इतना प्रभाव इसलिए पड़ा क्योंकि हरियाणा में Gender Ratio पर काफी चर्चा होती थी और मैंने भी ‘बेटी बचाओ-बेटी पढाओ’ का अभियान हरियाणा से ही शुरू किया था। और इसी बीच जब सुनील जी के ‘Selfie With Daughter’ Campaign पर मेरी नजर पडी, तो मुझे बहुत अच्छा लगा। मैंने भी उनसे सीखा और इसे ‘मन की बात’ में शामिल किया। देखते ही देखते ‘Selfie With Daughter’ एक Global Campaign में बदल गया। और इसमें मुद्दा Selfie नहीं थी, technology नहीं थी, इसमें Daughter को, बेटी को प्रमुखता दी गयी थी। जीवन में बेटी का स्थान कितना बड़ा होता है, इस अभियान से यह भी प्रकट हुआ। ऐसे ही अनेकों प्रयासों का परिणाम है कि आज हरियाणा में Gender Ratio में सुधार आया है। आईये आज सुनील जी से ही कुछ गप मार लेते हैं।

प्रधानमंत्री जी- नमस्कार सुनील जी,

सुनील- नमस्कार सर, मेरी खुशी बहुत बढ़ गई है सर आपकी आवाज़ सुन कर।

प्रधानमंत्री जी- सुनील जी ‘Selfie with Daughter’ हर किसी को याद है...अब जब इसकी फिर चर्चा हो रही है तो आपको कैसा लग रहा है।

सुनील - प्रधानमंत्री जी, ये असल में आपने जो हमारे प्रदेश हरियाणा से पानीपत की चौथी लड़ाई बेटियों के चेहरे पर मुस्कुराहट लाने के लिए शुरू की थी जिसे आपके नेतृत्व में पूरे देश ने जितने की कोशिश की है तो वाकई ये मेरे लिए और हर बेटी के पिता और बेटियों को चाहने वालों के लिए बहुत बड़ी बात है।

प्रधानमंत्री जी- सुनील जी अब आपकी बिटिया कैसी है, आज कल क्या कर रही है ?

सुनील- जी मेरी बेटियां नंदनी और याचिका है एक 7th Class में पढ़ रही है एक 4th Class में पढ़ रही है और आपकी बड़ी प्रशंसक है उन्होंने आपके लिए थैंक्यू प्राइम मिनिस्टर करके अपनी क्लासमेट्स जो हैं लैटर भी लिखवाए थे असल में।

प्रधानमंत्री जी- वाह वाह ! अच्छा बिटिया को आप मेरा और मन की बात के श्रोताओं का खूब सारा आशीर्वाद दीजिये।

सुनील- बहुत- बहुत शुक्रिया जी, आपकी वजह से देश की बेटियों के चेहरे पर लगातार मुस्कान बढ़ रही है।

प्रधानमंत्री जी- बहुत- बहुत धन्यवाद सुनील जी।

सुनील – जी शुक्रिया।

साथियो, मुझे इस बात का बहुत संतोष है कि ‘मन की बात’ में हमने देश की नारी शक्ति की सैकड़ों प्रेरणादायी गाथाओं का जिक्र किया है। चाहे हमारी सेना हो या फिर खेल जगत हो, मैंने जब भी महिलाओं की उपलब्धियों पर बात की है, उसकी खूब प्रशंसा हुई है। जैसे हमने छत्तीसगढ़ के देउर गाँव की महिलाओं की चर्चा की थी। ये महिलाएं स्वयं सहायता समूहों के जरिए गाँव के चौराहों, सड़कों और मंदिरों के सफाई के लिए अभियान चलाती हैं। ऐसे ही, तमिलनाडु की वो आदिवासी महिलाएं, जिन्होंने हज़ारों Eco-Friendly Terracotta Cups (टेराकोटा कप्स) निर्यात किए, उनसे भी देश ने खूब प्रेरणा ली। तमिलनाडु में ही 20 हजार महिलाओं ने साथ आकर वेल्लोर में नाग नदी को पुनर्जीवित किया था। ऐसे कितने ही अभियानों को हमारी नारी-शक्ति ने नेतृत्व दिया है और ‘मन की बात’ उनके प्रयासों को सामने लाने का मंच बना है।

साथियो, अब हमारे साथ Phone line पर एक और सज्जन मौजूद हैं। इनका नाम है, मंजूर अहमद। ‘मन की बात’ में, जम्मू-कश्मीर की Pencil Slates (पेन्सिल स्लेट्स) के बारे में बताते हुए मंजूर अहमद जी का जिक्र हुआ था।

प्रधानमंत्री जी- मंजूर जी, कैसे हैं आप ?

मंजूर जी- थैंक्यू सर...बड़े अच्छे से हैं सर।

प्रधानमंत्री जी- मन की बात के इस 100 वें एपिसोड में आपसे बात करके मुझे बहुत अच्छा लग रहा है।

मंजूर जी – थैंक्यू सर।

प्रधानमंत्री जी- अच्छा ये पेंसिल- स्लेट्स वाला काम कैसा चल रहा है ?

मंजूर जी- बहुत अच्छे से चल रहा है सर बहुत अच्छे से, जब से सर आपने हमारी बात, ‘मन की बात’ में कही सर तब से बहुत काम बढ़ गया सर और दूसरों को भी रोज़गार यहाँ बहुत बढ़ा है इस काम में।

प्रधानमंत्री जी- कितने लोगों को अब रोज़गार मिलता होगा ?

मंजूर जी- अभी मेरे पास 200 प्लस है...

प्रधानमंत्री जी- अरे वाह! मुझे बहुत खुशी हुई।

मंजूर जी – जी सर..जी सर...अभी एक दो महीनें में इसको expand कर रहा हूँ और 200 लोगों को रोज़गार बढ़ जाएगा सर|

प्रधानमंत्री जी- वाह वाह! देखिये मंजूर जी...

मंजूर जी- जी सर...

प्रधानमंत्री जी- मुझे बराबर याद है और उस दिन आपने मुझे कहा था कि ये एक ऐसा काम है जिसकी न कोई पहचान है, न स्वयं की पहचान है, और आपको बड़ी पीड़ा भी थी और इस वजह से आपको बड़ी मुश्किलें होती थी वो भी आप कह रहे थे, लेकिन अब तो पहचान भी बन गई और 200 से ज़्यादा लोगों को रोज़गार दे रहे हैं|

मंजूर जी- जी सर... जी सर.

प्रधानमंत्री जी- और नए expansion करके और 200 लोगों को रोज़गार दे रहे हैं, ये तो बहुत खुशी की खबर दी आपने।

मंजूर जी- Even सर, यहाँ पर जो farmer हैं सर उनका भी बहुत बड़ा इसमें फायदा मिला सर तब से। 2000 का tree बेचते थे अभी वही tree 5000 तक पहुँच गया सर। इतनी demand बढ़ गई है इसमें तब से..और इसमें अपनी पहचान भी बन गई है इसमें बहुत से order हैं अपने पास सर, अभी मै आगे एक-दो महीनें में और expand करके और दो-ढाई, सौ दो-चार गांव में जितने भी लड़के-लड़कियां हैं इसमें adjust हो सकते हैं उनका भी रोज़ी-रोटी चल सकता है सर।

प्रधानमंत्री जी- देखिये मंजूर जी, Vocal for Local की ताकत कितनी जबरदस्त है आपने धरती पर उतार कर दिखा दिया है|

मंजूर जी- जी सर|

प्रधानमंत्री जी- मेरी तरफ से आपको और गांव के सभी किसानों को और आपके साथ काम कर रहे सभी साथियों को भी मेरी तरफ से बहुत-बहुत शुभकामनाएं, धन्यवाद भैया।

मंजूर जी- धन्यवाद सर।

साथियो, हमारे देश में ऐसे कितने ही प्रतिभाशाली लोग हैं, जो अपनी मेहनत के बलबूते ही सफलता के शिखर तक पहुंचे हैं। मुझे याद है, विशाखापट्नम के वेंकट मुरली प्रसाद जी ने एक आत्मनिर्भर भारत Chart Share किया था। उन्होंने बताया था कि वो कैसे ज्यादा से ज्यादा भारतीय products ही इस्तेमाल करेंगे। जब बेतिया के प्रमोद जी ने LED बल्ब बनाने की छोटी यूनिट लगाई या गढ़मुक्तेश्वर के संतोष जी ने mats बनाने का काम किया, ‘मन की बात’ ही उनके उत्पादों को सबके सामने लाने का माध्यम बना। हमने Make in India के अनेक उदाहरणों से लेकर Space Start-ups तक की चर्चा ‘मन की बात’ में की है।

साथियो, आपको याद होगा, कुछ एपिसोड पहले मैंने मणिपुर की बहन विजयशांति देवी जी का भी जिक्र किया था। विजयशांति जी कमल के रेशों से कपड़े बनाती हैं। ‘मन की बात’ में उनके इस अनोखे eco-friendly idea की बात हुई तो उनका काम और popular हो गया। आज विजयशांति जी फ़ोन पर हमारे साथ हैं।

प्रधानमंत्री जी :- नमस्ते विजयशांति जी ! How are you?

विजयशांति जी:- Sir, I am fine.

प्रधानमंत्री जी :- and how’s your work going on ?

विजयशांति जी:- sir, still working along with my 30 women

प्रधानमंत्री जी :- in such a short period you have reached 30 persons team !

विजयशांति जी:- Yes sir, this year also more expand with 100 women in my area

प्रधानमंत्री जी :- so your target is 100 women

विजयशांति जी:- yaa ! 100 women

प्रधानमंत्री जी :- and now people are familiar with this lotus stem fiber

विजयशांति जी :- yes sir, everyone’s know from ‘Mann Ki Baat’ Programme all over India.

प्रधानमंत्री जी :- so now it’s very popular

विजयशांति जी:- yes sir, from Prime Minister ‘Mann ki Baat’ programme everyone knows about lotus fibre

प्रधानमंत्री जी :- so now you got the market also ?

विजयशांति जी:- yes, I have got a market from USA also they want to buy in bulk, in lots quantities, but I want to give from this year to send the U.S also

प्रधानमंत्री जी :- So, now you are exporter ?

विजयशांति जी:- yes sir, from this year I export our product made in India Lotus fibre

प्रधानमंत्री जी :- so, when I say Vocal for Local and now Local for Global

विजयशांति जी:- yes sir, I want to reach my product all over the globe of all world

प्रधानमंत्री जी :- so congratulation and wish you best luck

विजयशांति जी:- Thank you sir

प्रधानमंत्री जी :- Thank you, Thank you Vijaya Shanti

विजयशांति जी:- Thank You sir

साथियो, ‘मन की बात’ के एक और विशेषता रही है। ‘मन की बात’ के जरिए कितने ही जन-आन्दोलन ने जन्म भी लिया है और गति भी पकड़ी है। जैसे हमारे खिलौने, हमारी Toy Industry को फिर से स्थापित करने का mission ‘मन की बात’ से ही तो शुरू हुआ था। भारतीय नस्ल के श्वान हमारे देशी डॉग्स उसको लेकर जागरूकता बढ़ाने की शुरुआत भी तो ‘मन की बात’ से ही की थी। हमने एक और मुहिम शुरू की थी कि हम ग़रीब छोटे दुकानदारों से मोलभाव नहीं करेंगे, झगड़ा नहीं करेंगे। जब ‘हर घर तिरंगा’ मुहिम शुरू हुई, तब भी ‘मन की बात’ ने देशवासियों को इस संकल्प से जोड़ने में खूब भूमिका निभाई। ऐसे हर उदाहरण, समाज में बदलाव का कारण बने हैं। समाज को प्रेरित करने का ऐसे ही बीड़ा प्रदीप सांगवान जी ने भी उठा रखा है। ‘मन की बात’ में हमने प्रदीप सांगवान जी के ‘हीलिंग हिमालयाज़’ अभियान की चर्चा की थी। वो फ़ोनलाइन पर हमारे साथ हैं।

मोदी जी – प्रदीप जी नमस्कार !

प्रदीप जी – सर जय हिन्द।

मोदी जी – जय हिन्द, जय हिन्द, भईया ! कैसे हैं आप ?

प्रदीप जी – सर बहुत बढ़िया। आपकी आवाज सुनकर और भी अच्छा|

मोदी जी – आपने हिमालय को Heal करने की सोची।

प्रदीप जी – हाँ जी सर।

मोदी जी – अभियान भी चलाया। आज कल आपका Campaign कैसा चल रहा है ?

प्रदीप जी – सर बहुत अच्छा चल रहा है। 2020 से ऐसा मानिये कि जितना काम हम पांच साल में करते थे अब वो एक साल में हो जाता है।

मोदी जी – अरे वाह !

प्रदीप जी – हाँ जी, हाँ जी, सर। शुरुआत बहुत nervous हुई थी बहुत डर था इस बात को लेके कि जिंदगी भर ये कर पाएँगे कि नहीं कर पाएँगे पर थोड़ा support मिला और 2020 तक हम बहुत struggle भी कर रहे थे honestly। लोग बहुत कम जुड़ रहे थे बहुत सारे ऐसे लोग थे जो कि support नहीं कर पा रहे थे। हमारी मुहिम को इतना तवज्जो भी नहीं दे रहे थे। But 2020 के बाद जब ‘मन की बात’ में जिक्र हुआ उसके बाद बहुत सारी चीज़े बदल गई। मतलब पहले हम, साल में 6-7 cleaning drive कर पाते थे, 10 cleaning drive कर पाते थे। आज की date में हम daily bases पे पाँच टन कचरा इक्कठा करते हैं। अलग-अलग location से।

मोदी जी – अरे वाह !

प्रदीप जी – ‘मन की बात’ में जिक्र होने के बाद आप सर believe करें मेरी बात को कि मैं almost give-up करने की stage पर था एक टाइम पे और उसके बाद फिर बहुत सारा बदलाव आया मेरे जीवन में और चीजें इतनी speed-up हो गई कि जो चीजें हमने सोची नहीं थी। So I’m really thankful कि पता नहीं कैसे हमारे जैसे लोगों को आप ढूंढ लेते हैं। कौन इतनी दूर-दराज area में काम करता है हिमालय के क्षेत्र में जाके बैठ के हम काम कर रहे हैं। इस altitude पे हम काम कर रहे हैं। वहाँ पे आपने ढूंढा हमें। हमारे काम को दुनिया के सामने ले के आये। तो मेरे लिए बहुत emotional moment था तब भी और आज भी कि मैं जो हमारे देश के जो प्रथम सेवक हैं उनसे मैं बातचीत कर पा रहा हूँ। मेरे लिए इससे बड़े सौभाग्य की बात नहीं हो सकती।

मोदी जी – प्रदीप जी ! आप तो हिमालय की चोटियों पर सच्चे अर्थ में साधना कर रहे हैं और मुझे पक्का विश्वास है अब आपका नाम सुनते ही लोगों को याद आ जाता है कि आप कैसे पहाड़ों की स्वच्छता अभियान में जुड़े हैं।

प्रदीप जी – हाँ जी सर।

मोदी जी – और जैसा आपने बताया कि अब तो बहुत बड़ी team बनती जा रही है और आप इतनी बड़ी मात्रा में daily काम कर रहे हैं|

प्रदीप जी – हाँ जी सर।

मोदी जी – और मुझे पूरा विश्वास है कि आपके इन प्रयासों से, उसकी चर्चा से, अब तो कितने ही पर्वतारोही स्वच्छता से जुड़े photo post करने लगे हैं।

प्रदीप जी – हाँ जी सर ! बहुत।

मोदी जी – ये अच्छी बात है, आप जैसे साथियों के प्रयास के कारण waste is also a wealth ये लोगों के दिमाग में अब स्थिर हो रहा है, और पर्यावरण की भी रक्षा अब हो रही है और हिमालय का जो हमारा गर्व है उसको संभालना, संवारना और सामान्य मानवी भी जुड़ रहा है। प्रदीप जी बहुत अच्छा लगा मुझे। बहुत-बहुत धन्यवाद भईया।

प्रदीप जी - Thank you Sir Thank you so much जय हिन्द।

साथियो, आज देश में Tourism बहुत तेजी से Grow कर रहा है। हमारे ये प्राकृतिक संसाधन हों, नदियाँ, पहाड़, तालाब या फिर हमारे तीर्थ स्थल हों, उन्हें साफ़ रखना बहुत ज़रूरी है। ये Tourism Industry की बहुत मदद करेगा। पर्यटन में स्वच्छता के साथ-साथ हमने Incredible India movement की भी कई बार चर्चा की है। इस movement से लोगों को पहली बार ऐसे कितनी ही जगहों के बारे में पता चला, जो उनके आस-पास ही थे। मैं हमेशा ही कहता हूँ कि हमें विदेशों में Tourism पर जाने से पहले हमारे देश के कम से कम 15 Tourist destination पर जरुर जाना चाहिए और यह Destination जिस राज्य में आप रहते हैं, वहां के नहीं होने चाहिए, आपके राज्य से बाहर किसी अन्य राज्य के होने चाहिए। ऐसे ही हमने स्वच्छ सियाचिन, single use plastic और e-waste जैसे गंभीर विषयों पर भी लगातार बात की है। आज पूरी दुनिया पर्यावरण के जिस issue को लेकर इतना परेशान है, उसके समाधान में ‘मन की बात’ का ये प्रयास बहुत अहम है।

साथियो, ‘मन की बात’ को लेकर मुझे इस बार एक और खास संदेश UNESCO की DG औद्रे ऑजुले (Audrey Azoulay) का आया है। उन्होंने सभी देशवासियों को सौ एपिसोड्स (100th Episodes) की इस शानदार journey के लिये शुभकामनायें दी हैं। साथ ही, उन्होनें कुछ सवाल भी पूछे हैं। आइये, पहले UNESCO की DG के मन की बात सुनते हैं।

#Audio (UNESCO DG)#

DG UNESCO: Namaste Excellency, Dear Prime Minister on behalf of UNESCO I thank you for this opportunity to be part of the 100th episode of the ‘Mann Ki Baat’ Radio broadcast. UNESCO and India have a long common history. We have very strong partnerships together in all areas of our mandate - education, science, culture and information and I would like to take this opportunity today to talk about the importance of education. UNESCO is working with its member states to ensure that everyone in the world has access to quality education by 2030. With the largest population in the world, could you please explain Indian way to achieving this objective. UNESCO also works to support culture and protect heritage and India is chairing the G-20 this year. World leaders would be coming to Delhi for this event. Excellency, how does India want to put culture and education at the top of the international agenda? I once again thank you for this opportunity and convey my very best wishes through you to the people of India....see you soon. Thank you very much.

PM Modi: Thank you, Excellency. I am happy to interact with you in the 100th ‘Mann ki Baat’ programme. I am also happy that you have raised the important issues of education and culture.

साथियो, UNESCO की DG ने Education और Cultural Preservation, यानी शिक्षा और संस्कृति संरक्षण को लेकर भारत के प्रयासों के बारे में जानना चाहा है। ये दोनों ही विषय ‘मन की बात’ के पसंदीदा विषय रहे हैं।

बात शिक्षा की हो या संस्कृति की, उसके संरक्षण की बात हो या संवर्धन की, भारत की यह प्राचीन परंपरा रही है। इस दिशा में आज देश जो काम कर रहा है, वो वाकई बहुत सराहनीय है। National Education Policy हो या क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई का विकल्प हो, Education में Technology Integration हो, आपको ऐसे अनेक प्रयास देखने को मिलेंगे। वर्षों पहले गुजरात में बेहतर शिक्षा देने और Dropout Rates को कम करने के लिए ‘गुणोत्सव और शाला प्रवेशोत्सव’ जैसे कार्यक्रम जनभागीदारी की एक अद्भुत मिसाल बन गए थे। ‘मन की बात’ में हमने ऐसे कितने ही लोगों के प्रयासों को Highlight किया है, जो नि:स्वार्थ भाव से शिक्षा के लिए काम कर रहे हैं। आपको याद होगा, एक बार हमने ओडिशा में ठेले पर चाय बेचने वाले स्वर्गीय डी. प्रकाश राव जी के बारे में चर्चा की थी, जो गरीब बच्चों को पढ़ाने के मिशन में लगे हुए थे। झारखण्ड के गांवों में Digital Library चलाने वाले संजय कश्यप जी हों, Covid के दौरान E-learning के जरिये कई बच्चों की मदद करने वाली हेमलता N.K. जी हों, ऐसे अनेक शिक्षकों के उदाहरण हमने ‘मन की बात’ में लिये हैं। हमने Cultural Preservation के प्रयासों को भी ‘मन की बात’ में लगातार जगह दी है।

लक्षदीप का Kummel Brothers Challengers Club हो, या कर्नाटका के ‘क्वेमश्री’ जी ‘कला चेतना’ जैसे मंच हो, देश के कोने-कोने से लोगों ने मुझे चिट्ठी लिखकर ऐसे उदाहरण भेजे हैं। हमने उन तीन Competitions को लेकर भी बात की थी, जो देशभक्ति पर ‘गीत’ ‘लोरी’ और ‘रंगोली’ से जुड़े थे। आपको ध्यान होगा, एक बार हमने देश भर के Story Tellers से Story Telling के माध्यम से शिक्षा की भारतीय विधाओं पर चर्चा की थी। मेरा अटूट विश्वास है कि सामूहिक प्रयास से बड़े से बड़ा बदलाव लाया जा सकता है। इस साल हम जहाँ आजादी के अमृतकाल में आगे बढ़ रहे हैं, वहीं G-20 की अध्यक्षता भी कर रहे हैं। यह भी एक वजह है कि Education के साथ-साथ Diverse Global Cultures को समृद्ध करने के लिये हमारा संकल्प और मजबूत हुआ है।

मेरे प्यारे देशवासियो, हमारे उपनिषदों का एक मंत्र सदियों से हमारे मानस को प्रेरणा देता आया है।

चरैवेति चरैवेति चरैवेति।

चलते रहो-चलते रहो-चलते रहो।

आज हम इसी चरैवेति चरैवेति की भावना के साथ ‘मन की बात’ का 100वाँ एपिसोड पूरा कर रहे हैं। भारत के सामाजिक ताने-बाने को मजबूती देने में ‘मन की बात’, किसी भी माला के धागे की तरह है, जो हर मनके को जोड़े रखता है। हर एपिसोड में देशवासियों के सेवा और सामर्थ्य ने दूसरों को प्रेरणा दी है। इस कार्यक्रम में हर देशवासी दूसरे देशवासी की प्रेरणा बनता है। एक तरह से ‘मन की बात’ का हर एपिसोड अगले एपिसोड के लिए जमीन तैयार करता है। ‘मन की बात’ हमेशा सद्भावना, सेवा-भावना और कर्तव्य-भावना से ही आगे बढ़ा है। आज़ादी के अमृतकाल में यही Positivity देश को आगे ले जाएगी, नई ऊंचाई पर ले जाएगी और मुझे खुशी है कि ‘मन की बात’ से जो शुरुआत हुई, वो आज देश की नई परंपरा भी बन रही है। एक ऐसी परंपरा जिसमें हमें सबका प्रयास की भावना के दर्शन होते हैं।

साथियो, मैं आज आकाशवाणी के साथियों को भी धन्यवाद दूंगा जो बहुत धैर्य के साथ इस पूरे कार्यक्रम को रिकॉर्ड करते हैं। वो translators, जो बहुत ही कम समय में, बहुत तेज़ी के साथ ‘मन की बात’ का विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद करते हैं, मैं उनका भी आभारी हूँ। मैं दूरदर्शन के और MyGov के साथियों को भी धन्यवाद देता हूँ। देशभर के TV Channels, Electronic media के लोग, जो ‘मन की बात’ को बिना commercial break के दिखाते हैं, उन सभी का मैं आभार व्यक्त करता हूँ और आखिरी में, मैं उनका भी आभार व्यक्त करूँगा, जो ‘मन की बात’ की कमान संभाले हुए हैं -भारत के लोग, भारत में आस्था रखने वाले लोग। ये सब कुछ आपकी प्रेरणा और ताकत से ही संभव हो पाया है।

साथियो, वैसे तो मेरे मन में आज इतना कुछ कहने को है कि समय और शब्द दोनों कम पड़ रहे हैं। लेकिन मुझे विश्वास है कि आप सब मेरे भावों को समझेंगे, मेरी भावनाओं को समझेंगे। आपके परिवार के ही एक सदस्य के रूप में ‘मन की बात’ के सहारे आपके बीच में रहा हूँ, आपके बीच में रहूँगा। अगले महीने हम एक बार फिर मिलेंगे। फिर से नए विषयों और नई जानकारियों के साथ देशवासियों की सफलताओं को celebrate करेंगे तब तक के लिए मुझे विदा दीजिये और अपना और अपनों का खूब ख्याल रखिए। बहुत-बहुत धन्यवाद। नमस्कार।

 दिनांक 30.04.2023



सोमवार, 1 मई 2023

"मन की बात" से देश में नई कार्य संस्कृति विकसित हुई

   स्वच्छता, कुपोषण मुक्ति एवं जल सरंक्षण जैसे अभियानों ने अब जन आंदोलन का स्वरुप ले लिया है.   

आलेख - अशोक बजाज
   
"मेरे लिए ‘मन की बात’ ये एक कार्यक्रम नहीं है, मेरे लिए एक आस्था, पूजा, व्रत है। जैसे लोग ईश्वर की पूजा करने जाते हैं तो प्रसाद की थाल लाते हैं। मेरे लिए ‘मन की बात’ ईश्वर रूपी जनता जनार्दन के चरणों में प्रसाद की थाल की तरह है। ‘मन की बात’ मेरे मन की आध्यात्मिक यात्रा बन गया है। ‘मन की बात’ स्व से समिष्टि की यात्रा है। ‘मन की बात’ अहम् से वयम् की यात्रा है। यह तो मैं नहीं तू ही इसकी संस्कार साधना है।" प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मन की बात के 100 वें एपिसोड में प्रकट की गई इन भावनाओं से हर भारतीय गौरवान्वित महसूस कर रहा है. वास्तव में उनके पास बहुत बड़ा ज्ञान का खजाना है. वे 'मन की बात' के माध्यम से ज्ञान का खजाना  लुटाते है. उन्होंने विलुप्त हो रहे  संचार के प्राचीन माध्यम रेडियो को ना केवल पुनर्जीवित किया बल्कि यह भी सिद्ध कर दिया कि रेडियो आज भी प्रासंगिक है तथा संचार का सशक्त माध्यम है.   

मन की बात में प्रधानमंत्री श्री मोदी सदैव सम-सामयिक एवं जन उपयोगी विषयों पर संवाद करते हैं तथा लोगों का हौसला अफजाई करते है. इस कार्यक्रम के माध्यम से कभी वे देश के नौजवानों को आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं, कभी खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाते हैं, कभी विद्यार्थियों को परीक्षा के तनाव से मुक्त होने का गुर सिखाते हैं, कभी किसानों को नई तकनीक के साथ अन्न उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रेरित करते हैं. अब तक के एपिसोड में वे खेती-किसानी, नारी जागरण, स्वच्छता अभियान, प्राकृतिक आपदा, जलवायु परिवर्तन एवं जल संरक्षण व संवर्धन, स्वदेशी उत्पाद , कुपोषण, सिंगल यूज प्लास्टिक, फिट इंडिया, डिज़िटल इण्डिया, ड्रग्स व अन्य मादक पदार्थों  के दुष्परिणाम, नमामि गंगे, सड़क सुरक्षा, वेस्ट टू वेल्थ, अंगदान आदि अन्यान्य विषयों पर चर्चा कर चुके है. 'मन की बात' वे इतने प्रभावी ढंग से कहते है कि उनके द्वारा कही गई बातें लोगों के दिलों को छू जाती है. यही वजह है कि स्वच्छता, कुपोषण मुक्ति एवं जल सरंक्षण जैसे अभियानों ने अब जन आंदोलन का स्वरुप ले लिया है. 

प्रधानमंत्री श्री मोदी के ही शब्दों में जानिए उन्होंने प्रथम एपिसोड में क्या प्रेरणा दी थी - "मेरे देशवासियों, सवा सौ करोड़ देशवासियों के भीतर अपार शक्ति है, अपार सामर्थ्य है। हमें अपने आपको पहचानने की जरूरत है। हमारे भीतर की ताकत को पहचानने की जरूरत है और फिर जैसा स्वामी विवेकानंदजी ने कहा था उस आत्म-सम्मान को ले करके, अपनी सही पहचान को ले करके हम चल पड़ेंगे, तो विजयी होंगे और हमारा राष्ट्र भी विजयी होगा, सफल होगा। मुझे लगता है हमारे सवा सौ करोड़ देशवासी भी सामर्थ्यवान हैं, शक्तिवान हैं और हम भी बहुत विश्वास के साथ खड़े हो सकते हैं।" उन्होंने आगे कहा "मेरे देशवासियों, जब तक हम चलने का संकल्प नहीं करते, हम खुद खड़े नहीं होते, तब रास्ता दिखाने वाले भी नहीं मिलेंगे, हमें उंगली पकड़ कर चलाने वाले नहीं मिलेंगे। चलने की शुरूआत हमें करनी पड़ेगी और मुझे विश्वास है कि सवा सौ करोड़ जरूर चलने के लिए सामर्थ्यवान है, चलते रहेंगे।" ये सारा मेरा बातचीत करने का इरादा एक ही है। आओ, हम सब मिल करके अपनी भारत माता की सेवा करें। हम देश को नयी ऊंचाइयों पर ले जायें। हर कोई एक कदम चले, अगर आप एक कदम चलते हैं, देश सवा सौ करोड़ कदम आगे चला जाता है.

खादी की खपत और उत्पादन बढ़ाने में मन की बात के योगदान को कोई भूल नहीं पायेगा, श्री मोदी ने खादी के महत्व पर प्रकाश क्या डाला खादी के दिन फिर लौट आये उन्होंने पहले ही एपिसोड में खादी की चर्चा करते हुए कहा था "आपके परिवार में अनेक प्रकार के वस्त्र  होंगे, अनेक प्रकार के फैब्रिक्स होंगे, अनेक कंपनियों के प्रॉडक्ट होंगे, क्या उसमें एक खादी का नहीं हो सकता क्या ?  मैं अपको खादीधारी बनने के लिए नहीं कह रहा, आप पूर्ण खादीधारी होने का व्रत करें, ये भी नहीं कह रहा। मैं सिर्फ इतना कहता हूं कि कम से कम एक चीज भले ही वह हैंडकरचीफ,  भले घर में नहाने का तौलिया हो, भले हो सकता है बैडशीट हो, तकिए का कबर हो, पर्दा हो, कुछ तो भी हो, अगर परिवार में हर प्रकार के फैब्रिक्स का शौक है,  हर प्रकार के कपड़ों का शौक है, तो ये नियमित होना चाहिए और ये मैं इसलिए कह रहा हूं कि अगर आप खादी का वस्त्र खरीदते हैं तो एक गरीब के घर में दीवाली का दीया जलता है." उनकी इस भावनात्मक अपील का असर ये हुआ कि देखते ही देखते बाजार में खादी के कपड़ों की मांग बढ़ गई. खादी की खपत बढ़ने का जिक्र उन्होने बाद के अनेक कड़ियों में किया और बताया कि "उत्तर प्रदेश में वाराणसी सेवापुर में सेवापुरी का खादी आश्रम 26 साल से बंद पड़ा था, लेकिन आज पुनर्जीवित हो गया. अनेक प्रकार की प्रवर्तियों को जोड़ा गया. अनेक लोगों को रोज़गार के नये अवसर पैदा किये. कश्मीर में पम्पोर में खादी एवं ग्रामोद्योग ने बंद पड़े अपने प्रशिक्षण केंद्र को फिर से शुरू किया और कश्मीर के पास तो इस क्षेत्र में देने के लिए बहुत कुछ है." 

मन की बात में श्री मोदी सदैव छात्रों को परीक्षा के तनाव से मुक्ति की सलाह देते हैं उन्होंने 5 वी कड़ी में कहा था कि "हम हमेशा अपनी प्रगति किसी और की तुलना में ही नापने के आदी होते हैं। हमारी पूरी शक्ति प्रतिस्पर्धा में खप जाती है। जीवन के बहुत क्षेत्र होंगे, जिनमें शायद प्रतिस्पर्धा जरूरी होगी, लेकिन स्वयं के विकास के लिए तो प्रतिस्पर्धा उतनी प्रेरणा नहीं देती है, जितनी कि खुद के साथ हर दिन स्पर्धा करते रहना। खुद के साथ ही स्पर्धा कीजिये, अच्छा करने की स्पर्धा, तेज गति से करने की स्पर्धा, और ज्यादा करने की स्पर्धा, और नयी ऊंचाईयों पर पहुँचने की स्पर्धा आप खुद से कीजिये, बीते हुए कल से आज ज्यादा अच्छा हो इस पर मन लगाइए और आप देखिये ये स्पर्धा की ताकत आपको इतना संतोष देगी, इतना आनंद देगी जिसकी आप कल्पना नहीं कर सकते। हम लोग बड़े गर्व के साथ एथलीट सेरगेई बूबका का स्मरण करते हैं। इस एथलीट ने पैंतीस बार खुद का ही रिकॉर्ड तोड़ा था। वह खुद ही अपने एक्ज़ाम लेता था। खुद ही अपने आप को कसौटी पर कसता था और नए संकल्पों को सिद्ध करता था। आप भी उसी लिहाज से आगे बढें तो आप देखिये आपको प्रगति के रास्ते पर कोई नहीं रोक सकता है।" उन्होंने कार्यक्रम के 17 वे अपिसोड में विद्यार्थियों से सवाल किया कि 'प्रतिस्पर्धा क्यों ? अनुस्पर्धा क्यों नहीं। हम दूसरों से स्पर्धा करने में अपना समय क्यों बर्बाद करें। हम खुद से ही स्पर्धा क्यों न करें। हम अपने ही पहले के सारे रिकॉर्ड क्यों न तोड़ें। आप देखिये, आपको आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं पायेगा और अपने ही पिछले रिकॉर्ड को जब तोड़ोगे, तब आपको खुशी के लिए, संतोष के लिए किसी और से अपेक्षा भी नहीं रहेगी। एक भीतर से संतोष प्रकट होगा।’

श्री मोदी युवाओं के प्रेरणाश्रोत है, वे सदैव उन्हें विज्ञान व प्रौद्योगिकी की महत्ता को समझाते है. श्री मोदी ने मन की बात के 29 वे एपिसोड में नई पीढ़ी को नई तकनीक की ओर प्रेरित करते हुए कहा कि "जब नई  टेक्नालाजी  देखते हैं, कोई नई वैज्ञानिक सिद्धि होती है, तो हम लोगों को आनंद होता है। मानव जीवन की विकास यात्रा में जिज्ञासा ने बहुत अहम भूमिका निभाई है, और जो विशिष्ट बुद्धि प्रतिभा रखते हैं, वो जिज्ञासा को जिज्ञासा के रूप में ही रहने नहीं देते; वे उसके भीतर भी सवाल खड़े करते हैं; नई जिज्ञासायें खोजते हैं, नई जिज्ञासायें पैदा करते हैं और वही जिज्ञासा, नई खोज का कारण बन जाती है। वे तब तक चैन से बैठते नहीं, जब तक उसका उत्तर न मिले। और हज़ारों साल की मानव जीवन की विकास यात्रा का अगर हम अवलोकन करें, तो हम कह सकते हैं कि मानव जीवन की इस विकास यात्रा का कहीं पूर्ण-विराम नहीं है। पूर्ण-विराम असंभव है, ब्रह्मांड को, सृष्टि के नियमों को, मानव के मन को जानने का प्रयास निरंतर चलता रहता है। नया विज्ञान, नयी टेक्नालाजी उसी में से पैदा होती है और हर टेक्नालाजी, हर नया विज्ञान का रूप, एक नये युग को जन्म देता है।" 

श्री मोदी ने योग और मिलेट्स की महत्ता को दुनिया भर में प्रतिपादित किया इसकी उन्हें ख़ुशी भी है संतोष भी है. मन की बात में उन्होंने दोनों में समानता स्थापित करते हुए कहा कि "मेरे प्यारे देशवासियो, अगर मैं आपसे पूंछू कि योग दिवस और हमारे विभिन्न तरह के मोटे अनाजों मिलेट्स में क्या कॉमन है तो आप सोचेंगे ये भी क्या तुलना हुई ? अगर मैं कहूँ कि दोनों में काफी कुछ कॉमन है तो आप हैरान हो जाएंगे। दरअसल संयुक्त राष्ट्र ने इंटरनेशनल योगा डे और इंटरनेशनल ईयर ऑफ़ मिलेट्स दोनों का ही निर्णय भारत के प्रस्ताव के बाद लिया है। दूसरी बात ये कि योग भी स्वास्थ्य से जुड़ा है और मिलेट्स भी सेहत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। तीसरी बात और महत्वपूर्ण है दोनों ही अभियानो में जन-भागीदारी की वजह से क्रांति आ रही है। जिस तरह लोगों ने व्यापक स्तर पर सक्रिय भागीदारी करके योग और फिटनेस को अपने जीवन का हिस्सा बनाया है उसी तरह मिलेट्स को भी लोग बड़े पैमाने पर अपना रहे हैं। लोग अब मिलेट्स को अपने खानपान का हिस्सा बना रहे हैं। इस बदलाव का बहुत बड़ा प्रभाव भी दिख रहा है। इससे एक तरफ वो छोटे किसान बहुत उत्साहित हैं जो पारंपरिक रूप से मिलेट्स का उत्पादन करते थे। वो इस बात से बहुत खुश हैं कि दुनिया अब मिलेट्स का महत्व समझने लगी है। दूसरी तरफ एफपीओ और इन्टरप्रेनियर्स ने मिलेट्स को बाजार तक पहुँचाने और उसे लोगों तक उपलब्ध कराने के प्रयास शुरू कर दिए हैं।"
पीएम के "मन की बात" से देश में नई कार्य संस्कृति विकसित हुई है जो नई पीढ़ी सकारात्मक दिशा में चलने तथा रचनात्मक कार्यों की ओर प्रेरित कर रही है. यही वो मूल्य है जो देश की जनता में आत्मविश्वास जगाने, आत्मगौरव बढ़ाने और देश को आत्मनिर्भर बनाने में मिल का पत्थर साबित होगी।   
लेखक- अशोक बजाज
 पूर्व अध्यक्ष जिला पंचायत रायपुर
 पी-3, सेल्स टैक्स कालोनी
 खम्हारडीह, शंकरनगर
 रायपुर 492007 

"मन की बात" के 100 वें संस्करण पर प्रसारित भेंटवार्ता

आकाशवाणी से प्रत्येक माह के अंतिम रविवार को प्रसारित 'मन की बात' कार्यक्रम के 100 वें एपिसोड में प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी ने कहा कि -

"मेरे लिए ‘मन की बात’ ये एक कार्यक्रम नहीं है, मेरे लिए एक आस्था, पूजा, व्रत है। जैसे लोग ईश्वर की पूजा करने जाते हैं तो प्रसाद की थाल लाते हैं। मेरे लिए ‘मन की बात’ ईश्वर रूपी जनता जनार्दन के चरणों में प्रसाद की थाल की तरह है। ‘मन की बात’ मेरे मन की आध्यात्मिक यात्रा बन गया है। ‘मन की बात’ स्व से समिष्टि की यात्रा है। ‘मन की बात’ अहम् से वयम् की यात्रा है। यह तो मैं नहीं तू ही इसकी संस्कार साधना है।" प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मन की बात के 100 वें एपिसोड में प्रकट की गई इन भावनाओं से हर भारतीय गौरवान्वित महसूस कर रहा है. वास्तव में उनके पास बहुत बड़ा ज्ञान का खजाना है. वे 'मन की बात' के माध्यम से ज्ञान का खजाना लुटाते है. उन्होंने विलुप्त हो रहे संचार के प्राचीन माध्यम रेडियो को ना केवल पुनर्जीवित किया बल्कि यह भी सिद्ध कर दिया कि रेडियो आज भी प्रासंगिक है तथा संचार का सशक्त माध्यम है.

मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि दिनांक 30 अप्रेल 2023 को प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी के "मन की बात" कार्यक्रम के ऐतिहासिक 100 वें संस्करण के अवसर पर दूरदर्शन केंद्र रायपुर द्वारा मेरी भेंटवार्ता प्रसारित की गई.
दूरदर्शन केंद्र रायपुर का आभार !




गुरुवार, 27 अप्रैल 2023

'मन की बात' में मोर छत्तीसगढ़


मन की बात हो और छत्तीसगढ़ का जिक्र ना हो यह कैसे हो सकता है. आकाशवाणी से मन की बात के अब तक 99 एपिसोड प्रसारित हो चुके है तथा शतकीय एपिसोड का प्रसारण 30 अप्रेल को होगा जिसका सभी देशवासी बेसब्री से इंतजार कर रहें है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संबोधन प्रायः देश, समाज व व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर होता है. उनकी चर्चा का विषय बड़ा व्यापक आता है. शायद ही कोई विषय ऐसा हो जो उनसे अछूता हो. अपने संवाद में वे सभी वर्गों व क्षेत्रों को समेट लेते हैं. मजे की बात तो यह है कि मन की बात में जिस व्यक्ति, क्षेत्र या विषय की चर्चा होती है वह तुरंत दुनिया भर में ट्रेंड हो जाता है. 
मन की बात में छत्तीसगढ़ का अनेकों बार उल्लेख हुआ है. श्री मोदी ने 26 जुलाई 2015 को 10 वे एपिसोड में राजनांदगाव जिले के केसला गांव का उल्लेख किया तो पूरे छत्तीसगढ़ वासियों का सीना चौड़ा हो गया. हर जगह केसला गांव के लोगों की सोच और समझदारी की चर्चा होने लगी. उन्होनें कहा था - "अभी एक समाचार मेरे कान पे आये थे, कभी-कभी ये छोटी-छोटी चीज़ें बहुत मेरे मन को आनंद देती हैं। इसलिए मैं आपसे शेयर कर रहा हूँ। छत्तीसगढ़ के राजनांदगाँव में केसला करके एक छोटा सा गाँव है। उस गाँव के लोगों ने पिछले कुछ महीनों से कोशिश करके टायलेट बनाने का अभियान चलाया और अब उस गाँव में किसी भी व्यक्ति को खुले में शौच नहीं जाना पड़ता है। ये तो उन्होंने किया लेकिन जब पूरा काम पूरा हुआ तो पूरे गाँव ने जैसे कोई बहुत बड़ा उत्सव मनाया जाता है वैसा उत्सव मनाया। गाँव ने ये सिद्धि प्राप्त की। केसला गाँव समस्त ने मिल कर के एक बहुत बड़ा आनंदोत्सव मनाया। समाज जीवन में मूल्य कैसे बदल रहे हैं, जन-मन कैसे बदल रहा है और देश का नागरिक देश को कैसे आगे ले जा रहा है इसके ये उत्तम उदाहरण मेरे सामने आ रहे हैं।"
इसी प्रकार उन्होंने 27 दिसंबर 2015 को 15 वी कड़ी में स्वामी विवेकानंद जी की जन्म-जयंती पर रायपुर में प्रस्तावित राष्ट्रीय युवा महोत्सव के संबंध में कहा था - "प्यारे नौजवान साथियो, 12 जनवरी स्वामी विवेकानंद जी की जन्म-जयंती है। मेरे जैसे इस देश के कोटि-कोटि लोग हैं जिनको स्वामी विवेकानंद जी से प्रेरणा मिलती रही है। 1995 से 12 जनवरी स्वामी विवेकानंद जयंती को एक राष्ट्रीय युवा उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष ये 12 जनवरी से 16 जनवरी तक छत्तीसगढ़ के रायपुर में होने वाला है और मुझे जानकारी मिली कि इस बार की उनकी जो थीम है, क्योंकि उनका ये इवेंट थीम बेस्ड होता है, थीम बहुत बढ़िया है ‘इण्डिया यूथ ऑन डेवलपमेंट स्किल एन्ड हार्मोनी’. मुझे बताया गया कि सभी राज्यों से, हिंदुस्तान के कोने-कोने से 10 हज़ार से ज़्यादा युवा इकट्ठे होने वाले हैं। एक लघु भारत का दृश्य वहाँ पैदा होने वाला है। युवा भारत का दृश्य पैदा होने वाला है। एक प्रकार से सपनों की बाढ़ नज़र आने वाली है। संकल्प का एहसास होने वाला है। इस यूथ फेस्टिवल के संबंध में क्या आप मुझे अपने सुझाव दे सकते हैं ? मैं ख़ास कर के युवा दोस्तों से आग्रह करता हूँ कि मेरी जो ‘नरेंद्र मोदी एप’ है उस पर आप डायरेक्टली मुझे अपने विचार भेजिए। मैं आपके मन को जानना-समझना चाहता हूँ और जो ये नेशनल यूथ फेस्टिवल में रिफ्लेक्ट हो, मैं सरकार में उसके लिए उचित सुझाव भी दूँगा, सूचनाएँ भी दूँगा। तो मैं इंतज़ार करूँगा दोस्तो, ‘नरेंद्र मोदी एप’ पर यूथ फेस्टिवल के संबंध में आपके विचार जानने के लिए।"
श्री मोदी ने 28 अगस्त 2016 को 23 वे एपिसोड में कबीरधाम जिले के स्कूली बच्चों से जुड़े एक प्रसंग का जिक्र बड़े ही आदर व सम्मान के साथ किया। अचरज भी हुआ क्योकिं जिस प्रसंग की जानकारी अच्छों अच्छों को नहीं थी लेकिन प्रधानमंत्री की पैनी निगाह ने खोज कर ली. यही तो चमत्कार है. उन्होंने कहा था- "मेरे प्यारे देशवासियों, कुछ बातें मुझे कभी-कभी बहुत छू जाती हैं और जिनको इसकी कल्पना आती हो, उन लोगों के प्रति मेरे मन में एक विशेष आदर भी होता है। 15 जुलाई को छत्तीसगढ़ के कबीरधाम ज़िले में करीब सत्रह-सौ से ज्यादा स्कूलों के सवा-लाख से ज़्यादा विद्यार्थियों ने सामूहिक रूप से अपने-अपने माता-पिता को चिट्ठी लिखी। किसी ने अंग्रेज़ी में लिख दिया, किसी ने हिंदी में लिखा, किसी ने छत्तीसगढ़ी में लिखा, उन्होंने अपने माँ-बाप से चिट्ठी लिख कर के कहा कि हमारे घर में टायलेट होना चाहिए। टायलेट बनाने की उन्होंने माँग की, कुछ बालकों ने तो ये भी लिख दिया कि इस साल मेरा जन्मदिन नहीं मनाओगे तो चलेगा, लेकिन टायलेट ज़रूर बनाओ। सात से सत्रह साल की उम्र के इन बच्चों ने इस काम को किया और इसका इतना प्रभाव हुआ, इतना इमोशनल इंपैक्ट हुआ कि चिट्ठी पाने के बाद जब दूसरे दिन स्कूल आया, तो माँ-बाप ने उसको एक चिट्ठी पकड़ा दी टीचर को देने के लिये और उसमें माँ-बाप ने वादा किया था कि फ़लानी तारीख तक वह टायलेट बनवा देंगे। जिसको ये कल्पना आई उनको भी अभिनन्दन, जिन्होंने ये प्रयास किया उन विद्यार्थियों को भी अभिनन्दन और उन माता-पिता को विशेष अभिनन्दन कि जिन्होंने अपने बच्चे की चिट्ठी को गंभीर ले करके टायलेट बनाने का काम करने का निर्णय कर लिया। यही तो है, जो हमें प्रेरणा देता है।"
रायपुर नगर निगम के कचरा महोत्सव के श्री मोदी भी मुरीद हुए थे, उन्होंने 41 वे एपिसोड में दिनांक 25 फरवरी 2018 को इसे स्वच्छता के लिए अनूठा प्रयास निरूपित करते हुए कहा था - " मेरे प्यारे देशवासियो, आज तक हम म्यूजिक फेस्टिवल, फ़ूड फेस्टिवल फिल्म फेस्टिवल  न जाने कितने-कितने प्रकार के फेस्टिवल  के बारे में सुनते आए हैं । लेकिन छत्तीसगढ़ के रायपुर में एक अनूठा प्रयास करते हुए राज्य का पहला ‘कचरा महोत्सव’ आयोजित किया गया। रायपुर नगर निगम द्वारा आयोजित इस महोत्सव के पीछे जो उद्देश्य था वह था स्वच्छता को लेकर जागरूकता। शहर के वेस्ट का क्रिएटिवेली यूज करना और गार्बेज को रि-यूज करने के विभिन्न तरीकों के बारे में जागरूकता पैदा करना। इस महोत्सव के दौरान तरह-तरह की एक्टिविटी हुई जिसमें छात्रों से लेकर बड़ों तक, हर कोई शामिल हुआ। कचरे का उपयोग करके अलग-अलग तरह की कलाकृतियाँ बनाई गईं। वेस्ट मैनेजमेंट के सभी पहलूओं पर लोगों को शिक्षित करने के लिए वर्कशॉप आयोजित किये गए। स्वच्छता के थीम पर म्यूजिक परफॉर्मेंस हुई। आर्ट वर्क बनाए गए। रायपुर से प्रेरित होकर अन्य ज़िलों में भी अलग-अलग तरह के कचरा उत्सव हुए। हर किसी ने अपनी-अपनी तरफ से पहल करते हुए स्वच्छता को लेकर इंनोवेटिव आइडियाज शेयर किये, चर्चाएं की, कविता पाठ हुए। स्वच्छता को लेकर एक उत्सव-सा माहौल तैयार हो गया। खासकर स्कूली बच्चों ने जिस तरह बढ़-चढ़ करके भाग लिया, वह अद्भुत था। वेस्ट मैनेजमेंट और स्वच्छता के महत्व को जिस  अभिनव तरीक़े से इस महोत्सव में प्रदर्शित किया गया, इसके लिए रायपुर नगर निगम, पूरे छत्तीसगढ़ की जनता और वहां की सरकार और प्रशासन को मैं ढ़ेरों बधाइयाँ देता हूँ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बस्तर के बीजापुर में आई ई डी ब्लास्ट में शहीद सीआरपीएफ के स्निफर डॉग 'क्रेकर' की दिनांक 30 अगस्त 2020 को मन की बात के 68 वे एपिसोड में चर्चा करते हुए अपने मन के भाव को यूँ प्रकट किया - "एक डॉग बलराम ने 2006 में अमरनाथ यात्रा के रास्ते में, बड़ी मात्रा में, गोला-बारूद खोज निकाला था | 2002 में डॉग भावना ने आई ई डी खोजा था, आई ई डी निकालने के दौरान आंतकियों ने विस्फोट कर दिया और श्वान शहीद हो गये | दो-तीन वर्ष पहले छत्तीसगढ़ के बीजापुर में सीआरपीएफ का स्निफर डॉग 'क्रेकर' भी आई ई डी ब्लास्ट में शहीद हो गया था | अगली बार, जब भी आपडॉग पालने की सोचें, आप जरुर इनमें से ही किसी इंडियन बीड के डॉग को घर लाएँ | आत्मनिर्भर भारत, जब जन-मन का मन्त्र बन ही रहा है, तो कोई भी क्षेत्र इससे पीछे कैसे छूट सकता है |"

कोरोना महामारी के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की जनता की जिस प्रकार हौसला अफजाई की वह किसी से छुपी नहीं है. उन्होंने कोरोना वारियर्स का हौसला भी डिगने नहीं दिया। मन की बात में दिनांक 25 अप्रेल 2021 को उन्होंने रायपुर के डॉक्टर बी.आर. अम्बेडकर मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में कार्यरत एक नर्स भावना ध्रुव से सीधे बात की थी। मुश्किल दौर में इस मोदी मन्त्र से देश भर के कोरोना वारियर्स को एक प्रकार से संजीवनी मिल गई.  इसी प्रकार उन्होंने 24 अक्टूबर 2021 को छत्तीसगढ़ के देऊर गाँव की महिलाओं द्वारा गाँव के चौक-चौराहों, सड़कों और मंदिरों की सफाई कार्य का जिक्र करते हुए सराहना की थी. 91 वे एपिसोड में दिनांक 31 जुलाई 2022 को श्री मोदी ने नारायणपुर बस्तर के ‘मावली मेले’ का उल्लेख किया था. मन की बात के 97 वे तथा वर्ष 2023 के पहले एपिसोड में दिनांक 29 जनवरी को प्रधानमंत्री श्री मोदी ने अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष का जिक्र करते हुए कहा था - "अगर आपको छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जाने का मौका मिले तो यहाँ के 'मिलेटस कैफे' जरुर जाइएगा। कुछ ही महीने पहले शुरू हुए इस 'मिलेटस कैफे' में चीला, डोसा, मोमोस, पिज़्ज़ा और मंचूरियन जैसे आईटम खूब पॉपुलर हो रहे हैं।" इसी एपिसोड में उन्होंने बिलासपुर में आठ प्रकार के मिलेट्स का आटा और उसके व्यंजन बनाने के काम में लगे के एफपीओ की जानकारी दी   इसी एपिसोड में आगे उन्होंने कहा कि जनजातीय समुदाय हमारी धरती, हमारी विरासत का अभिन्न हिस्सा रहे हैं। देश और समाज के विकास में उनका योगदान बहुत महत्वपूर्ण है। उनके लिए काम करने वाले व्यक्तित्वों का सम्मान, नई पीढ़ी को भी प्रेरित करेगा। इस वर्ष पद्म पुरस्कारों की गूँज उन इलाकों में भी सुनाई दे रही है, जो नक्सल प्रभावित हुआ करते थे। अपने प्रयासों से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में गुमराह युवकों को सही राह दिखाने वालों को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। इसके लिए कांकेर में लकड़ी पर नक्काशी करने वाले अजय कुमार मंडावी और गढ़चिरौली के प्रसिद्द झाडीपट्टी रंगभूमि से जुड़े परशुराम कोमाजी खुणे को भी ये सम्मान मिला है। इसी प्रकार नॉर्थ-ईस्ट में अपनी संस्कृति के संरक्षण में जुटे रामकुईवांगबे निउमे, बिक्रम बहादुर जमातिया और करमा वांगचु को भी सम्मानित किया गया है।

मन की बात के माध्यम से छत्तीसगढ़ के अनेक प्रसंग पूरे देश में चर्चित भी हुए और प्रेरणा भी बने. यह छत्तीसगढ़ के लिए गौरव करने वाली बात है.  


लेखक- अशोक बजाज
 पूर्व अध्यक्ष जिला पंचायत रायपुर 
पी-3, सेल्स टैक्स कालोनी खम्हारडीह, शंकरनगर रायपुर 492007