नशा हे ख़राब : झन पीहू शराब


"न्यूज ब्लॉग में आपका स्वागत है" ..... जल है तो कल है "....." नशा हे ख़राब : झन पीहू शराब " ..... - अशोक बजाज
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रविवार, 5 नवंबर 2017

छत्तीसगढ़ में सहकारिता का महत्व

                                                                                               
सहकारी आंदोलन की दृष्टि से छत्तीसगढ़ राज्य का गठन वरदान सिद्ध हुआ है । राज्य निर्माण के इन 17 वर्षो में प्रदेश में सहकारिता का महत्व काफी बढ़ा है। विशेषकर मुख्यमंत्री डाॅ. रमन सिंह के कार्यकाल में सहकारिता के क्षेत्र को काफी बढ़ावा मिला है । छत्तीसगढ़ में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीदी का काम सहकारी समितियों  के माध्यम से ही किया जाता है । इसी प्रकार सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली का जिम्मा भी सहकारी क्षेत्र को दिया है । ये ही नहीं बल्कि अब प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के अंतर्गत गैस सिलेण्डर के वितरण की जवाबदारी भी सहकारी समितियों को प्रदान की जा रही है । शासन ने प्रो.बैद्यनाथन कमेटी की सिफारिशों को लागू कर मृतप्राय समितियों को पुनर्जीवित किया है, इस योजना के तहत सहकारी समितियों को 225  करोड़ की सहायता राशि प्रदान की गई है। इस योजना को लागू करने के लिए 25.09.2007 को राज्य शासन,नाबार्ड एवं क्रियान्वयन एजेन्सियों के मध्य एम.ओ.यू हुआ। इससे प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों को प्राणवायु मिल गया है। सहकारी आंदोलन को बढ़ावा मिलने से कृषि क्षेत्र में काफी प्रगति हुई है तथा किसानों एवं ग्रामीणों के लिए सहकारिता के माध्यम से ज्यादा सुविधायें मिलने लगी है । यही वजह है कि कृषि क्षेत्र में फसल ऋण लेने वाले कृषकों की संख्या जो राज्य गठन के समय वर्ष 2000-01 में मात्र 3,95,672 थी जो अब बढ़कर 9,75,734 हो गई है । 
फसल ऋण वितरण -
प्रदेश में कृषि साख सहकारी समितियों की संख्या 1333 है, जिसमें प्रदेश के 27 जिलों के सभी 20796 गांवों के 26,09,905 सदस्य हैं। इनमें से 15,31,282 ऋणी सदस्य हैं। इन समितियों के माध्यम से चालू वित्तीय वर्ष में खरीफ फसल के लिए शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर 3104.10 करोड़ रूपिये का ऋण वितरित किया गया है। छत्तीसगढ राज्य निर्माण के समय वर्ष 2000-01 में मात्र 190 करोड रूपिये का ऋण वितरित किया गया था जो अब 16 गुणा से अधिक हो गया है। ऋण के रूप में किसानों को इस वर्ष खरीफ सीजन में 5,78,243  मिट्रिक टन रासायनिक खाद का वितरण किया गया है।
खेती के लिए बिना ब्याज का ऋण -
अल्पकालीन कृषि ऋण पर ब्याजदर पूर्व में 13 से 15 प्रतिशत था। वर्ष 2005-06 से ब्याजदर को घटाकर 9 प्रतिशत किया गया। वर्ष 2007-08 में 6 प्रतिशत ब्याज दर निर्धारित किया गया। 2008-09 से प्रदेश के किसानों को तीन प्रतिशत ब्याज दर पर अल्पकालीन ऋण उपलब्ध कराया गया । वर्ष 2014-15 से प्रदेश के किसानों को ब्याज रहित ऋण प्रदाय किया जा रहा है । गौपालन हेतु 1 प्रतिशत ब्याज दर पर 2.00 लाख की ऋण सीमा है एवं 2.00 से 3.00 लाख तक 3 प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण सुविधा है । मत्स्य पालन हेतु 1 लाख तक 1 प्रतिशत ब्याज पर एवं 1.00 से 3.00 लाख तक 3 प्रतिशत ब्याज पर ऋण सुविधा है । उद्यानिकी हेतु 1.00 लाख तक 1 प्रतिशत एवं 1.00 से 3.00 लाख तक 3 प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराई जा रही है । 
रूपे किसान क्रेडिट कार्ड -
किसानों की सुविधा के लिए सहकारी समितियों में किसान क्रेडिट कार्ड योजना लागू की गई है। किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से कृषक सदस्यों को 5 लाख रूपिये तक के ऋण उपलब्ध कराये जा रहे है। कुल 26,09,905 क्रियाशील सदस्यों में से 15,31,282 सदस्यों को अब तक किसान क्रेडिट कार्ड उपलब्ध कराये जा चुके है जो कि कुल क्रियाशील सदस्यों का 58.67 प्रतिशत है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मंशा के अनुरूप कैशलेश लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड को रूपे किसान क्रेडिट कार्ड में तब्दील किया जा रहा है । अब तक प्रदेश के 10.04 लाख किसानों को रूपे केसीसी कार्ड जारी किये जा चुके हैं ।
प्रधानमंत्री उज्जवला योजना -
प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के अंतर्गत दुर्गम क्षेत्र में एल.पी.जी. सिलेण्डर वितरण का जिम्मा भी सहकारी समितियों को दिया गया है । इसके अंतर्गत प्रथम चरण में 49 सहकारी समितियों तथा द्वितीय चरण में 45 सहकारी समितियों का चयन किया गया है । इनमें से 41 सहकारी समितियों द्वारा एल.पी.जी. गैस सिलेण्डर का वितरण प्रारंभ कर दिया है । रायगढ़ एवं जशपुर जिले के 14 सहकारी समितियों को गैस सिलेण्डर गोदाम निर्माण हेतु अपेक्स बैंक से रू. 3.10 करोड़ की ऋण प्रदाय किया गया है ।
धान खरीदी आन लाईन - 
शासन ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की जिम्मेदारी भी सहकारी समितियों को दी है । इसके लिए 1989 कम्प्यूटराईज्ड धान खरीदी केन्द्र स्थापित किये गये हैं। धान उपार्जन केन्द्रों के कम्प्यूटराईजेशन से खरीदी व्यवस्था में व्यवस्थित और पारदर्शी हो गई है । किसानों को धान का भुगतान आॅनलाईन किया जाता है । जिसकी सराहना देशभर में हो रही है । किसानों का ऋण अदायगी के लिए लिकिंग की सुविधा प्रदान की गई है। इससे सहकारी समितियां भी लाभान्वित हो रही है, क्योंकि लिकिंग के माध्यम से ऋण की वसूली आसानी से हो रही है। छत्तीसगढ राज्य निर्माण के समय वर्ष 2000-01 में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मात्र 4.63 मिट्रिक टन धान की खरीदी की गई थी जो 2016-17 में बढ़ कर 69.59 लाख मेट्रीक टन हो गई है । 1287 सहकारी समितियों में से 1162 समितियां द्वारा शून्य प्रतिशत शार्टेज पर धान खरीदी की गई ।
भूमिहीन कृषकों को ऋण प्रदाय -
सहकारी संस्थाओं के माध्यम से किसानों को टैक्टर हार्वेस्टर के अलावा आवास ऋण भी प्रदाय किया जा रहा है। नाबार्ड के निर्देशानुसार अब ऐसे भूमिहीन कृषकों को भी ऋण प्रदाय किया जा रहा है जो अन्य किसानों की भूमि को अधिया या रेगहा लेकर खेती करते है। छत्तीसगढ़ की यह प्राचीन परंपरा है। जब कोई किसान खेती नहीं कर सकता अथवा नहीं करना चाहता तो वह अपनी कृषि योग्य भूमि को अधिया या रेगहा में कुछ समय सीमा के लिए खेती करने हेतु अनुबंध पर दे देता है। चूंकि अधिया या रेगहा लेकर खेती करने वाले किसानों के नाम पर जमीन नहीं होती इसलिए उन्हें समितियों से ऋण नहीं मिल पाता था, लेकिन ऐसे अधिया या रेगहा लेने वाले किसानों का ”संयुक्त देयता समूह” बना कर सहकारी समितियों से ऋण प्रदान करने की योजना बनाई गई है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना -
प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों से ऋण लेने वाले सदस्यों के फसल का बीमा किया जाता है। खरीफ 2016 में इस योजना की शुरूआत की गई है । किसानों के लिए यह सबसे कम प्रीमियम दर पर सुरक्षा अधिकतम है । खाद्यान्न, दलहन, तिलहन फसलों के लिए एक मौसम, एक दर निर्धारित है । खरीफ फसल हेतु अधिकतम 2 प्रतिशत तथा रबी में 1.5 प्रतिशत प्रीमियम दर है । वाणिज्यिक बागवानी के लिए किसान की प्रीमियम दर अधिकतम 5 प्रतिशत है। छत्तीसगढ़ में खरीफ 2017 में सहकारी समितियों के संबंद्ध 1107063 किसानों को 5239.33 करोड़ रूपये का फसल बीमा कराया गया ।
माइक्रो एटीएम - 
सहकारी बैकों द्वारा सभी 1333 प्राथमिक कृषि सहकारी साख समितियों में माइक्रो एटीएम स्थापित किया जा रहा है । माइक्रो एटीएम द्वारा किसान रूपे केसीसी कार्ड (ठपवउमजतपब ।नजीमदजपबंजपवद)एवं आधार नम्बर के माध्यम से राशि आहरण एवं जमा कर सकते हैं । माइक्रो एटीएम द्वारा मिनी स्टेटमेंट/बैलेंस इनक्वारी/फंड ट्रांसफर ई-केवायसी द्वारा/आधार सीडिंग की सुविधा रहेंगी ।
सहकारी शक्कर कारखानें -
राज्य में सहकारिता के क्षेत्र में वर्तमान में चार शक्कर कारखाने संचालित हो रहे हैं. इनमें कबीरधाम जिले के ग्राम राम्हेपुर स्थित भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाना, जिला बालोद के ग्राम करकाभाट स्थित मां दंतेश्वरी शक्कर कारखाना, जिला सूरजपुर के ग्राम केरता में संचालित मां महामाया सहकारी शक्कर कारखाना और चौंथा कबीरधाम जिले के ग्राम बिशेषरा (विकासखण्ड-पंडरिया) में सरदार वल्लभ भाई पटेल शक्कर कारखाना शामिल हैं. ये सभी कारखानें राज्य गठन के बाद स्थापित हुए.
शाखाओं का विस्तार -
राज्य गठन के समय सहकारी बैकों की मात्र 201 शाखायें थी, जो बढ़कर अब 273 हो गई है । इस प्रकार 17 वर्षो में कुल 72 नई शाखायें खुली है । इसमें से 7 शाखायें सारंगढ़, खरसिया, बरमकेला, पुसौर, धर्मजयगढ़, जशपुर एवं पत्थलगांव में इसी वर्ष स्थापित की गई है । 
हमर छत्तीसगढ़ योजना -
इस योजना के अंतर्गत सहकारी समितियों एवं संस्थाओं के निर्वाचित प्रतिनिधियों को नया रायपुर क्षेत्र का भ्रमण कराया जा रहा है । जिससे उन्हें सहकारी क्षेत्र की प्रगति के साथ-साथ प्राचीन कला, संस्कृति एवं ग्रामीण विकास की झलक दिखाई जाती है । 
                             इस प्रकार हम देखते है कि छत्तीसगढ़ राज्य गठन के पश्चात सहकारिता के माध्यम से सुविधाओं का तेजी से विस्तार हुआ है। इससे किसानों मे तो खुशहाली आई ही है साथ ही साथ सहकारी आंदोलन को भी काफी गति मिली है ।
                       छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस की आप सबको हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ !
                                                                                                                                                        अशोक बजाज 
अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी बैंक मर्यादित रायपुर


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