नशा हे ख़राब : झन पीहू शराब


"न्यूज ब्लॉग में आपका स्वागत है" ..... जल है तो कल है "....." नशा हे ख़राब : झन पीहू शराब " ..... - अशोक बजाज
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शुक्रवार, 11 दिसंबर 2015

पलायन मुक्त हुआ छत्तीसगढ़

डाॅ. रमन सरकार के 12 वर्ष पूर्ण होने पर विशेष लेख 

त्तीसगढ़ की प्रथम निर्वाचित सरकार ने डाॅ. रमन सिंह के नेतृत्व में 12 वर्ष पूर्ण कर लिये हैं। किसी भी सरकार के कामकाज के मूल्यांकन के लिए 12 वर्ष पर्याप्त है लेकिन जिस सरकार को बेकारी, भूखमरी, पलायन एवं पिछड़ापन विरासत में मिला हो उस सरकार के कामकाज के मूल्यांकन के लिए 12 वर्ष का समय पर्याप्त नहीं है। छत्तीसगढ़ कृषि प्रधान राज्य है। यहां के खेतिहर मजदूर लाखों की संख्या में प्रतिवर्ष अन्य राज्यों में पलायन करते थे। पदभार ग्रहण के समय छत्तीसगढ़ से पलायन को रोकना डाॅ. रमन सरकार के लिए एक गंभीर चुनौती थी। इन बारह वर्षों में सरकार ने कृषि व ग्रामीण विकास की नीतियां बनाकर छत्तीसगढ़ को पलायनमुक्त राज्य बनाया। किसानों को उन्नत बीज प्रदान किया गया ताकि वे विपुल उत्पादन कर सके। इससे छत्तीसगढ़ अन्न के मामले में आत्मनिर्भर बना। 

कृषि के क्षेत्र में सबसे बड़ी समस्या रहती है कि खेती पूरी तरह मानसून के भरोसे रहती है लेकिन रमन सरकार की नीति के चलते सिंचाई रकबा बढ़ गया। किसानों को ना केवल बोर खनन के लिए बल्कि विद्युत व डीजल पंप खरीदने के लिए शासन ने अनुदान देना प्रारंभ किया। शाकम्भरी योजना के अंतर्गत लघु व सीमांत किसानों को 75 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान होने से विद्युत व डीजल पंपों की बाढ़ आ गई। किसान समृध्दि योजना के अंतर्गत किसानों को नलकूप खनन एवं पंप प्रतिस्थापित करने हेतु 25000 रू. से 43000 रू. तक के अनुदान का प्रावधान रखने से भूजल श्रोतों का उपयोग कृषि उत्पादन के लिए होने लगा। ये ही नहीं बल्कि वर्षा जल को रोकने के लिए नदी - नालों में एनीकट, नालाबंधान एवं स्टाॅप डेम बनाये गये। इसी का परिणाम है कि कृषि के क्षेत्र में मानसून की निर्भरता कम हुई और किसान अच्छी पैदावार लेने में सफल हुए।

 त्तीसगढ़ के किसानों को खेती के लिए समुचित संसाधन उपलब्ध कराने की दिशा में सरकार ने कोई कसर नहीं छोड़ी। इन बारह वर्षाें में किसानों को सहकारी समितियों के माध्यम से मिलने वाले फसल ऋण पर ब्याज दर 13 प्रतिशत से घटाकर 9 प्रतिशत, बाद में 6 प्रतिशत फिर बाद में 3 प्रतिशत किया गया। पिछले 2 वर्षों से तो किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर फसल ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है। इस वर्ष राज्य के 925504 किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर 2400 करोड़ रूपये का ऋण वितरित किया गया है। कृषि व किसानों के प्रति सरकार की उदार व प्रगतिशील नीतियों के चलते अन्न का भरपूर उत्पादन होने लगा। कृषि के क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़े फलस्वरूप छत्तीसगढ़ पूर्णतः पलायनमुक्त राज्य के रूप में स्थापित हुआ। 

सी प्रकार ग्रामीण विकास की दिशा में शासन ने ठोस कदम उठाकर गांवों में बुनियादी सुविधाओं शिक्षा, स्वास्थ्य एवं संचार के साधन विकसित किये। शिक्षा को प्राथमिकता देने का ही यह परिणाम है कि ग्रामीण क्षेत्रों में अप्रवेशी एवं शाला त्यागी बच्चों की संख्या दिनोंदिन घटती जा रही है। न बारह वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों व उपस्वास्थ्य केन्द्रों के अलावा आंगनबाड़ी केन्द्रों की स्थापना की गई तथा कुपोषण को समाप्त करने की दिशा में ठोस कदम उठाया गया।

डाॅ. रमन सरकार ने गरीबों को चिंतामुक्त करते हुए सस्ते चांवल की योजना बनाई जो गरीबी व पलायन को रोकने में काफी कारगर सिध्द हुई है। इस योजना से राज्य की आधी से अधिक आबादी लाभान्वित हो रही है। यही कारण है कि आज छत्तीसगढ़ की जनता के दिल में प्रदेश के मुख्यमंत्री डाॅं रमन सिंह चाउर वाले बाबा के रूप में स्थापित हो गए हैं। 

तः हम कह सकते हैं कि डाॅ. रमन सिंह के कुशल नेतृत्व व प्रगतिशील नीतियों के चलते नवोदित छत्तीसगढ़ बीमारू राज्य से विकसित राज्य की श्रेणी में आ गया है। आज समूचे देश में छत्तीसगढ़ की नीतियों, कार्यक्रमों एवं योजनाओं का ना केवल जिक्र हो रहा है बल्कि उनका अनुसरण भी हो रहा है। जो अपने आप में सफलता का परिचायक है। हमें यह कहने में भी अतिशयोक्ति नहीं होगी कि छत्तीसगढ़ की राजनीतिक क्षितीज में डाॅ. रमन सिंह अंगद के पांव की तरह स्थापित हो चुके हैं। 

शनिवार, 11 अप्रैल 2015

भाजपा : शून्य से शिखर तक

  स्थापना दिवस 6 अप्रेल पर विशेष
  
विश्व की राजनीतिक धरा पर विशाल वट-वृक्ष की तरह स्थापित भारतीय जनता पार्टी की सदस्य संख्या 10 करोड़ के करीब पहुंच चुकी है। वर्तमान में केन्द्र सहित अनेक राज्यों में स्पष्ट बहुमत वाली सरकार होने के साथ-साथ भाजपा अब विश्व की सर्वाधिक सदस्य संख्या वाली पार्टी बनकर उभरी है। आज से 35 वर्ष पूर्व 6 अप्रैल 1980 को स्थापना के समय मुम्बई के प्रथम अधिवेशन में भाजपा के संस्थापक अध्यक्ष अटल बिहारी वाजपेयी जी ने कहा था  “भारत के पश्चिमी घाट को महिमा मंडित करने वाले महानगर के किनारे खड़े होकर मैं यहां भविष्यवाणी करने का साहस करता हूॅ कि अंधेरा छटेगा, सुरज निकलेगा, कमल खिलेगा......।“ श्री वाजपेयी द्वारा साहस और दृढ़ निश्चय के साथ कहे गये इन शब्दो में पार्टी और देश को नये उजाले की ओर ले जाने का संकल्प प्रतिध्वनित हो रहा था। देश की वर्तमान राजनैतिक स्थिति को देखें तो यह स्पष्ट हो जाता है कि श्री वाजपेयी की 35 वर्ष पूर्व की गई भविष्यवाणी खरी उतरी है। 

अतीत में देश की राजनीति में कांग्रेस का दबदबा रहा है। केन्द्र के साथ-साथ कश्मीर से कन्याकुमारी तक लगभग सभी राज्यों में कांग्रेस स्थापित थी। लेकिन भाजपा की आंधी में कांग्रेस का चमन नेस्नाबूत हो चुका है। 1984 में हुए आठवीं लोकसभा के चुनाव में महज दो सीटें हासिल करने वाली भाजपा ने 2014 के आम चुनाव में 282 सीटे जीत कर देश की राजनीतिक फिजा ही बदल दी। भाजपा को इस मुकाम पर पहुंचने के लिए काफी लम्बा संर्घष करना पड़ा है। इस अवधि में पार्टी ने अनेक झंझावातो का सामना किया तथा असंख्य समर्पित, निष्ठावान एवं जीवट कार्यकर्ताओ की बदौलत प्रतिकूलता को अनुकुलता में तब्दील किया। 

भारतीय जनता पार्टी केवल एक राजनैतिक पार्टी नही बल्कि एक विचारधारा है जो भारतीय जनसंघ की नीतियों व सिद्धांतों पर बनी है। डाॅ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने कांग्रेस की तुष्टीकरण की नीति तथा कथित धर्मनिरपेक्ष की राजनीति के चलते 1951 में भारतीय जनसंघ की स्थापना कि थी। परन्तुं 1977 के राजनीतिक हालातो के कारण सभी गैर कांग्रेसी दलो ने अपनी-अपनी पार्टियों को मिलाकर जनता पार्टी नाम से एक नई पार्टी का गठन किया जिसमें जनसंघ भी शामिल था। सामूहिक ताकत से कांग्रेस देशभर में विशेष कर उत्तर-भारत में पूरी तरह उखड़ गई। देश में नई उम्मीद व विकल्प लेकर आई जनता पार्टी की सरकार मात्र ढाई वर्ष में टूट गई, फलस्वरूप पूर्ववर्ती भारतीय जनसंघ के नेताओं ने 1980 में भारतीय जनता पार्टी के नाम से नई पार्टी का गठन किया।
1980 से अब तक के सफर में भारतीय जनता पार्टी को अनेको बार धूप-छांव का सामना करना पड़ा। स्थापना के बाद हुए 1984 के आम चुनाव में भाजपा को मात्र 2 सीटे मिली थी. हालांकि यह तात्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या से उपजी सहानूभूति का नतीजा था। तब भाजपा के विरोधी भाजपा  नेताओं पर फब्ती कसते हुए कहते थे “हम दो हमारे दो“ इन फब्तियो की परवाह न करते हुए भाजपा कार्यकर्ताओ ने अटल-अडवाणी के नेेतृत्व में अपनी संघर्ष यात्रा को अनवरत् जारी रखा। फलस्वरूप 1989 के आम चुनाव में लोकसभा में भाजपा सांसदों की संख्या दो से बढ़कर 85 हो गई। इसके बाद रामजन्म भूमि आंदोलन के चलते कांग्रेस सिमटती गई तथा भाजपा की ताकत में इजाफा होता गया। नतीजन 1991 में 120, 1996 में 161, 1998 में 182, 1999 में भी 182, 2004 में 138, तथा 2009 में भाजपा को लोकसभा में 116 सीटे हासिल हुई। परन्तु 2014 के आमचुनाव में भाजपा एक शक्तिशाली राजनैतिक पार्टी के रूप में उभरकर सामने आई। इस चुनाव में पार्टी ने 275 सीटो का लक्ष्य रखा था। लेकिन परिणाम आया तो पता चला कि कांग्रेस एवं अनेक क्षेत्रीय पार्टियाॅं के चारो खाने चित्त हो गई। भाजपा ने अकेले 31 प्रतिशत वोट पाकर 282 सीटो पर जीत हासिल की तथा सहयोगी दलो को मिलाकर राजग के सांसदो की संख्या 300 पार कर गई। 

वास्तव में यह जादूई आंकड़ा नरेन्द्र मोदी के चमत्कारिक नेतृत्व के कारण सम्भव हो सका है। 2014 का आमचुनाव ऐसे समय में हुआ जब देश की जनता का भरोसा कांग्रेसनीत यू.पी.ए. से टूट चुका था। बेलगाम होती महंगाई एवं अनियंत्रित भ्रष्ट्राचार की वजह से गण का विश्वास तंत्र से टूट चुका था। ऐसे समय में भारतीय जनता पार्टी ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट कर जनता के मन में नये विश्वास को जागृत किया। श्री मोदी का नाम आते ही देश की तरूणाई ने अंगड़ाई ली और भाजपा को ऐतिहासिक जीत दिलाकर सत्ता की मंजिल तक पहुंचाया। फलस्वरूप केन्द्र में गठबंधन सरकारों का दौर समाप्त हुआ और केन्द्र में पूर्ण बहुमत वाली भाजपा की प्रथम सरकार स्थापित हुई। इसके पूर्व 1996, 1998 व 1999 में अटल जी के नेतृत्व में भाजपा गठबंधन की सरकार बनी थी। लेकिन तब अकेले भाजपा को दो-तिहाई बहुमत हासिल नही हुआ था। लेकिन 2014 के चुनाव में भारत की जनता ने राजनीति के सरोवर में कमल ही कमल खिलाया है। भाजपा की इस कामयाबी तथा नरेन्द्र मोदी के चमत्कारिक नेतृत्व से सारा विश्व आश्चर्य चकित है। आम जनता को भी पूरा भरोसा है कि केन्द्र में भाजपा का दबदबा कायम होने से देश की दशा व दिशा बदलेगी।  
  लेखक - अशोक बजाज

Tarun chhattisgarh raipur, 6.4.2015
prakhar sanachar 6.4.2015
                                                                                                                     
dainik agradoot raipur, 6.4.2015

Haribhoomi Raipur 6.4.2015







बुधवार, 4 मार्च 2015